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९०३ ॥ श्री जानू शाह जी ॥


शेर:-

प्रैकटिस से गाड मिलता बसर तन का फर्ज है।

सतगुरु करो पावो पता जानू कि सब से अर्ज़ है।

आने जाने की लगी क्या जीव के संग मर्ज है।

सुमिरन बिना नहिं छूटती या से बड़ा ही हर्ज है।

इकरार गर्भ में जो किया उसका चुका नहि कर्ज़ है।५।

होगा रिहा जग से वही तन मन से जिसको गर्ज़ है।

शुभ अशुभ जो करत करिहौ होत सब वहं दर्ज है।

इजलास पर सुन लीजिये कैसे लिखे वह तर्ज है।८।