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७६३ ॥ श्री चीलर शाह जी ॥


पद:-

सतगुर करो हर जां लखो प्रिय श्याम की झाँकी सुधर।१।

बाँह प्रिय लाये गले तिरछे खड़े मुरली अधर।२।

पकाश ध्यान समाधि हो धुनि नाम की सुनिये मधुर।३।

सुर मुनि मिलैं नित कहैं चीलर शाह चलिये अन्त घर।४।

७६४ ॥ श्री: सल्हर शाह जी ।


पद:-

सतगुरु करो झाँकी लखौ सिय राम की बसुयाम जी।१।

अनहद बजै घट में सुनो मन को सुरति संग थाम जी।२।

धुनि ध्यान लय परकाश पाकर करो फिरि बिश्राम जी।३।

कहते हैं सल्हर शाह तब नहि रहै जग से काम जी।४।

७६५ ॥ श्री गनीमत शाह जी ।


पद:-

मिले सांचा जिसे सतगुरु उसे फिर और क्या चहना।

ध्यान प्रकाश लय पायो उसे फिर और क्या चहना।

नाम धुनि सुन रहा हर दम उसे फिर और क्या चहना।

देव मुनि नित्य दें दर्शन उसे फिर और क्या चहना।

राम सीता रहैं सन्मुख उसे फिर और क्या चहना।५।

जियत में सब हुआ हासिल उसे फिर और क्या चहना।

अन्त साकेत जा बैठा उसे फिर और क्या चहना।

गनीमत कह रंगा हर दम उसे फिर और क्या चहना।८।

७६५ ॥ श्री: पक्कड़ शाह जी ।


पद:-

सुनो सब जन कहैं फक्कड़ बने बैठे हो क्यों लक्कड़।

करो सतगुरु मिटै चक्कर नाम की जानिये टक्कर।

लखौ छबि रूप की छक्कर अनूपम कन्द औ शक्कर।

ध्यान धुनि नूर लय तक्कर चलो साकेत तन तज कर।

देव मुनि संग यहँ हंसकर जियत में लेव सब तै कर।५।

सुरति को शब्द पर धर कर प्रेम सँग तन व मन बश कर।

ये तन होगा धुआँ धक्कड़ करो सुमिरन तजो अक्कर।

यहां करते हैं जे मक्कर वहां से जांय कहँ भगकर।८।

७६७ ॥ श्री मिट्ठू मियां जी ।


पद:-

नाम से जौन वाकिफ़ हैं वही मुरशिद मुनासिब हैं।

ध्यान धुनि नूर लय पायो नाम से जौन मन लायो।

रूप सन्मुख छटा छायो मस्त तन मन से सुख पायो।

वही पण्डित व मुल्ला है वही योगी रसुल्ला है।

वही ब्राह्मण औ काजी है वही हाफ़िज समाजी है।५।

वही कारी कुतुब पीरा वही द्विज औलिया धीरा।

वही हिन्दू मुसलमां है वही सुमिरन व कलमा है।

वही जंगम फकीरा जी वही काया कबीरा जी।

वही भोला व भाला जी वही सब से निराला जी।

वही बेरंग रंगमा जी वही नहीं अंग अँगमा जी।१०।

वही मसजिद व मन्दिर हैं वही रव रामचन्दर हैं।

वही ज्ञानी व ध्यानी है वही दानी व मानी है।

वही परमहंस दरवेशा वही साधू गदा भेषा।

वही कहते व सुनते हैं वही करि ख्याल गुनते हैं।

वही काबा व काशी हैं वही घट घट के वासी हैं।१५।

वही रघुनाथ अल्ला हैं वही मोहन बिसमिल्ला हैं।

वही बिष्णू रमा जी हैं वही आदम नबी जी हैं।

वही मुरशिद व चेला हैं वही कौसर क पेला हैं।

वही उत्पति औ पालन हैं वही लय औ संघारन हैं।

वही मादर पिदर भी है वही जोरू औ शौहर हैं।२०।

जारी........