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७२१ ॥ श्री ईमान शाह जी ॥


पद:-

सतगुरु करि जियते जगे हुये ते भक्त हमारे सगे हुये।१।

जो ध्यान प्रकाश में लगे हुये ते जाय समाधि में पगे हुये।२।

सिया राम सामने तगे हुये तिरगुन से जानो भगे हुये।३।

जे चोरन के संग रंगे हुये ते नर्क में मानो टंगे हुये।४।