७०२ ॥ श्री गीदड़ शाह जी ॥
पद:-
बलायें कृष्ण राधे की भगत लेते तो हैं लेते।
जान मारग को सतगुरु से करम रेते तो हैं रेते।
ध्यान धुनि नूर लय पायो जियति चेते तो हैं चेते।
मिलैं सुर मुनि सुनैं अनहद अमी पेते तो हैं पेते।
वही औरों कि नय्या को बिहंसि खेते तो हैं खेते।५।
मातु पितु हर समय सन्मुख दरश देते तो हैं देते।
देख उपदेश ऋषियों के बचन सेते तो हैं सेते।
अन्त तन त्यागि निजपुर को गये केते तो हैं केते।८।