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६९९ ॥ श्री सरदार खां जी ॥ (३)


पद:-

कमाई अपनी खा कर के भजन जे भक्त करते हैं।१।

वही हरि के परम प्यारे बहुत जीवन उबरते हैं।२।

सदा निर्बैर औ निर्भय उन्हैं यम काल डरते हैं।३।

कहैं सरदार खां उनकी देव मुनि जै जै करते हैं।४।


शेर:-

पाक बेबाक होने से धुनि रंकार जारी हो।

कहैं सरदार खां भक्तों वहीं तुमको संभारी हो।१।

हर जगह से धुनी सुनना बड़ा आनन्द भारी हो।

कहैं सरदार को बरनै शारदा शेष हारी हो।२।