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६१७ ॥ श्री औतार कहार जी ॥


दोहा:-

निर्भय औ निर्वैर हो जानि जपो ऊँ कार।

नाम सत्य कर्ता वही सर्व खानि सुखसार।१।

है अकाल मुरति प्रभू रूप अनूप अपार।

सतगुरु करि हर दम लखौ कह औतार कहार।२।