साईट में खोजें

५५६ ॥ श्री अड़ँग शाह जी ॥ (२)

सतगुरु से मारग जानो जी। निज में निज को पहिचानो जी।

धुनि ध्यान प्रकाश महानो जी। चलि लय में सुधि बिसरानो जी।

सुर मुनि के संग बतलानो जी। अनहद सुनि अमृत पानो जी।

कुण्डलिनी शक्ति जगानो जी। षट चक्कर बेधि घुमानो जी।

सातों क्या कमल फुलानो जी। दोउ स्वरन से महक उड़ानो जी।

सिय राम सामने छानो जी। तन त्यागि न जग में आनो जी।६।