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४६४ ॥ श्री आस्तीक मुनि जी ॥


वार्तिक:-

शास्त्र पढ कर के जे उसके विरुध्द करते हैं वे अधम हैं, और जे पढ़े नहीं हैं और शास्त्र की मर्य्यादा पर चलते हैं वे धर्म निष्ठ हैं और जे राम नाम की विधि सतगुरु से जानकर अभ्यास करके अभ्यन्तर की धुनि प्राप्त कर लिया उनके ध्यान प्रकाश समाधि और स्वरूप करतल हो गया। वे त्रिगुणातीत होकर चिद धाम के अधिकारी हो गये।६।