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४४५ ॥ श्री छोटी अम्मा जी ॥

(चुनारगढ़)

पद:-

जवनिया रोकै जो कोई भाई।

सतगुरु की किरपा ते ता की सब दिसि भली भलाई।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै से सुनि पाई॥

अनहद सुनैं देव मुनि दर्शै लोक घूमि सब आई॥

सन्मुख राम सिया की झाँकी हर दम ता के छाई।५।

 

निर्भय और निर्वैर एक रस सब दरबार मझाई।

अजा चोर सब जियति बिदा करि विजय की ढोल बजाई।

छोटी अम्मा कहैं त्यागि तन फेरि न जग चकराई।८।