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४४६ ॥ श्री छोटी बुआ जी ॥


पद:-

राम रवी शयाम न वी एक ही न और।

मुरशिद से जान कर के कर देखिये तो गौर।

छोटी बुआ कहैं क्या कहते हैं सुर मुनि वेद।

भेद उनमे है नहीं अभेद हैं अकेद।

आपस में लड़ रहे हो क्या हिन्दू मुसलमां।५।

दोनों ने नहीं जाना सुमिरन कि विधि कलमां।

छोटी बुआ कहैं पकड़ि दोजख़ में जाओगे।

हर दम लगैंगे कोड़े पल कल न पाओगे।

छोटी बुआ कहैं अगर तजि देव तुम कपट।

धुनि ध्यान नूर लय हो हंसि रूप जाय लिपट।१०।