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३५४ ॥ श्री भंगी माई जी ॥


पद:-

मन मतंग बांधे पाप क तबला।

मति मलीन ऐसी है वा की जैसे कुलटा अबला।

निकसै जीव कौन विधि जग से तन अति ह्वैगो गंदला।

असुरन का दल कहे न मन के छिन छिन करता हमला।

सतगुरु करै मार्ग तब लौकै छूटै भव का घपला।

जियतै में तै कीन चहै जो सत्य दीनता गमला।६।