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३११ ॥ श्री बच्ची माई जी ॥


गारी:-

छोड़ कर ऐस आराम संसार की जिसने तन मन लगा

प्रेम गुरु से किया।१।

ध्यान धुनि नूर लय पाय जियतै तरी सामने में लखै

झांकी रघुवर सिया।२।

देव मुनि दें दरश साज अनहद सुनै सब में समता भई

कर्म हत कर दिया।३।

त्यागि कर तन कहै बच्ची जग से चली जाय कर के

अचलपुर में बैठक लिया।४।