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२४८ ॥ श्री दुगाना माई विसातिन जी ॥(२)

सुरति कि मीसी शब्द क सुरमा।

जा को मिलै खाय सो खुरमा।१।

मुरशिद करि होवै ज्यों नरमा।

कहैं दुगाना बैठै घर मां।२।