साईट में खोजें

२३६ ॥ श्री सुखाना माई भुरजिन जी ॥


पद:-

चलि है साटी भजन बिन तन पर।

अब हीं तो जग जाल में भूले पाप ओहार लगा है मन पर।

नेकी बदी संघ में जावै काहे फूले फिरत हौ धन पर।

छिन भंगुर तन क्या चिकनावत धोका खैहौ चढ़यौ नहिं रन पर।

सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो हर दम श्याम लखौ अहि फन पर।

कहैं सुखाना गर नहिं मानौ तन तजि नर्क चलौ यम गन पर।६।