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२३२ ॥ श्री जय कुंवारा माई चमारिनि जी ॥


पद:-

कमाने हित जगत आये बताओ क्या कमाया है।१।

संघ में चोरों के पड़कर कोष अपना लुटाया है।२।

विमुख पितु मातु से होकर दाग़ कुल में लगाया है।३।

करो सतगुरु भजो हरि को सखुन कहि हम चेताया है।४।