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२१९ ॥ श्री खैरियत शाह जी ॥


पद:-

भाव से भगवान मिलते भाव से मुनि देवता।

भाव सब में है शिरोमणि भाव भव से खेवता।

भाव से परकाश लय हो भाव नाम क धेवता।

भाव ही से ध्यान होवै भाव विधि गति छेवता।

भाव से अनहद क सुख लो भाव अमृत पेवता।

भाव सतगुरु करिके जानो भाव भावक लेवता।६।