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२०४ ॥ श्री विहारा सिंह चौहान जी ॥


पद:-

हे मन राम नामहिं जान।

जाप विधि सतगुरु से जानि क त्यागु सान औ मान।

दीनता औ शान्ति को गहु होय तव कल्यान।

तेज अनहद साज धुनि लय मिलैं चारौं ध्यान।

रहैं सन्मुख सदा सीता सहित राम सुजान।५।

दाहिने कर तीर लीन्हें वाम हाथ कमान।

देव मुनि सब दर्श देवैं करैं अति सन्मान।

कह विहारा सिंह तन तजि लेव हरि पुर थान।८।