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१९१ ॥ श्री नित्यानन्द जी की माता पद्मावती जी ॥


कीर्तन:-

राम कृष्ण विष्णु जपौ मोह नींद त्यागौ रे।

जक्त मांहि आय गुनौ यही साज साजौ रे।

सतगुरु से नाम सुनौ तन मन को भांजौ रे।

ध्यान लय प्रकाश होय रूप लखौ गाजौ रे।

प्रेम जानि देव मुनी आवैं संग राजौ रे।

अंत समय छोड़ि देह अचल पुर को भागौ रे।६।


दोहा:-

जो स्वभाव भगवन्त का, सोई भक्त क होय।

ता को जानो पार भा, छूटी तन मन दोय॥