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१५० ॥ श्री बुद्धू खां तुवलक जी ॥


पद:-

सब को खोदा ने ढारा करना हलाल छोड़ो।

सब में रमा वो प्यारा करना मलाल छोड़ो।

सब को है देत चारा बकना बवाल छोड़ो।

दुख सुख सहो बराबर कहना हवाल छोड़ो।

हर दम भरोसा उसका करना सवाल छोड़ो।५।

मुरशिद से जान सुमिरन करना अमाल छोड़ो।

पर नाजिनी न ताको मुख पर रुमाल छोड़ो।

ईमान ठीक राखो घर की न चाल छोड़ो।

देखो बहार सन्मुख दुनियां कि जाल छोड़ो।

है चन्द रोज जीना दागी न खाल छोड़ो।१०।

कप नाम का ही पीना बागी न लाल छोड़ो।

आवे जहां सफीना चल दो न ख्याल छोड़ो।१२।