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१४९ ॥ श्री फ़जल खां जी ॥


पद:-

भजु मन नाम आठौ याम।

जाप विधि सतगुरु से जानौ सकौ मन तब थाम।

ध्यान धुनि परकाश लय हो लखौ नित प्रिय श्याम।

देव मुनि सब दर्श देवैं मिलैं कहि कहि नाम।

सुनौ अनहद बजै घट में होय नहिं फिर खाम।५।

जागि नागिनि होय सीधी सरै तब सब काम।

चक्र षट सुधि जायँ सातौं कमल उलटैं आम।

मुक्ति भक्ती मिलै जियतै अन्त लो निज धाम।

मार्ग सूरति शब्द का गहि सुफल कर निज चाम।

ख्याल करते रहौ हरदम जाव बनि गुन ग्राम।१०।

रेफ बिन्दु में रमण करिये जो रमा हर ठाम।

फज़ल खां कह मम विनय सुनि चेतो सब नर बाम।१२।