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१०४ ॥ श्री मुकर्रम शाह जी ॥


पद:-

दम बदम पढ़ने सुनने से क्या फ़ायदा

कर लो मुरशिद इशारा करैं यार हम।

ध्यान धुनि नूर लै पाय होवै खता

जीते भव से किनारा करैं यार हम।

राम सीता कि हर दम लखौ क्या छटा

जैसे सन्मुख दिदारा करैं यार हम।

आब दाना से बेफ़िक्र तन मन मगन

जैसे हरि के सहारा फिरैं यार हम।

मादर फादर के सच्चे पिसर जाव बन

तब तो तुमको गवारा करैं यार हम।

मान लो गर सखुन तो रिहाई मिलै

वरना फिर क्या संभारा करैं यार हम।६।