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१५ ॥ श्री मिठाना माई जी ॥


पद:-

श्याम की छवि देखिये अलबेली लचक है।

सुर मुनि नित जिनको हैं ध्यावत सब में सब से न्यारे सजक हैं।

श्यामा बांह गले में डाले तिरछे नैन फिराये हंसत हैं।

मुरली अधर धरै जब कूकैं धुनि सुनि सगरे प्रेम फंसत हैं।

सखा सखिन संग रास करत जब व्रज मंडल में धूम मचत है।५।

नभ ते जय जय कार उठत तब फूलन की बहु माल खसत है।

सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो ते सब जियतै निरखि सकत हैं।

ध्यान धुनी परकाश दशा लै सन्मुख श्यामा श्याम वसत हैं।८।