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॥ श्री कृष्ण भगवान जी के पद ॥


गज़ल:-

हमीं सीता हमीं राघौ हमीं राधा हमीं माधौ।१।

हमीं निर्गुन हमीं सर्गुन हमीं निरंकार शून्य शब्दौ।२।

हमीं ज्ञानी हमीं ध्यानी हमीं से चाहे जो माँगौ।३।

हमीं सब में सबी हम में दूसरा कौन जेहि साधौ।४।


गज़ल:-

लगन जो हमीं से लगाये हुये हैं।१।

जुदाई के सदमें उठाये हुये हैं।२।

अचल मुक्ति पदवी को पाये हुये हैं।३।

हमारे तो दिल में समाये हुये हैं।४।


वार्तिक:-

४० वर्ष हो गये, कुऍ के ऊपर मोर प्रगट हो गये भगवान कृष्ण प्रगट हो गये, भगवान कृष्ण मोरों को मक्खन खिलाते थे और खुद खाते थे, मोर नाचते थे और कृष्ण भगवान भी नाचते थे। तभी के यह दोनों

पद हैं।