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४५२ ॥ श्री मुन्ना दास जी ॥


पद:-

प्रेम करि घनश्याम राधे नाम सुमिरन कीजिये।

अद्भुत छटा कर दे कटा तन मन डटा लखि लीजिये।

धुनि ध्यान औ परकाश लय में जाय अमृत पीजिये।

सुर मुनि बलैयाँ लेंय नित इस रंग में तो भीजिये।

जियतै में करि अभ्यास लखि हरि धाम को चलि दीजिये।५।

आसन सिंहासन पर दया निधि देंय लखि छबि रीझिये।६।

मुन्ना कहैं ह्वै मौन बैठो गर्भ बास न लीजिये।७।

सतगुरु बचन विश्वास करि दीदार हर दम कीजिये।८।