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४१८ ॥ श्री भगेलू दास जी ॥


गज़ल:-

सतगुरु हमें कृपा करि सुमिरन की बिधि बता दो।

धुनि रोम रोम होवै अजपा क जप सिखा दो।

सूरति शबद में भगवन एक तार कर पगा दो।

परकाश ध्यान लय भी स्वामी मुझे दिला दो।

अनहद कि धुनि रसीली घट में बजै सुनादो।५।

सियराम कृष्ण राधे बिष्णू रमा लखा दो।

सुर मुनि व तीर्थ शक्ती घट ही में हैं दिखादो।

शुभ अशुभ कर्म जो हों योगाग्नि में जरा दो।

मेरा पकर के कर निज सरकार को गहा दो।

कहता भगेलू मेरा आवागमन मिटा दो।१०।