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२२४ ॥ श्री अकबर शाह जी ॥


शेर:-

फ़कीरों कि महिमा नहीं जानी जाती।

कहैं अकबर वह तो खुदा के संघाती।१।

कर दें गदा जिस पर रहम वह भिश्त में मौजैं करैं।

गर बद दुआ देवैं तो दोज़ख ही में जा कर परैं।२।