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७८ ॥ श्री हकीम अजमल खाँ जी ॥


शेर:-

रब के हुकुम बिना हम पलकैं न मार सकते।१।

बकने से क्या हो हासिल उघरैं न दिल के तखते।

आते उन्हीं के सन्मुख वरजिश को जो हैं करते।

रब नाम की धुनी को एक तार जो हैं सुनते।२।


पद:-

अल्ला खुदा रबी नबी वही वही वही सबी।

हर दम जपो अजपा जबी तार हो एक तार तबी।

सामने हो नैनो छवी खुश नुमा वो श्याम रबी।

स्वप्न में न देखा कवी नूरहू का नूर नबी।

प्रेम हो तन मन से जवी मुरशिद दे वतलाय तबी।५।

गौर करके मानो सबी यत्न ही से मिलते रबी।

कपट कार छोड़ौ सबी कपट से हैं दूर नबी।

सांच ही से मिलते नबी आना जाना छूटै तबी।८।