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२४४ ॥ श्री ऋषभ देव जी ॥


दोहा:-

शान्ति शान्ति तब शान्ति हो, शान्ति शान्ति तब शान्ति ।

शान्ति रूप सत्पुरुष का नाम जपै तब शान्ति ॥१॥

शान्ति मिली तब शान्ति भे, बैठि गयो ह्वै शान्ति ।

त्रृषभ देव का वचन यह, मानि लेव सच शान्ति ॥२॥