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१५२ ॥ श्री पुष्कर जी ॥


दोहा:-

रेफ बीज है चन्द्र का रेफ सूर्य का बीज ।

रेफ अग्नि का बीज है सब का रेफैं बीज ॥१॥

रेफ गुरु से मिलत है जो गुरु होवै शूर ।

तो तनकौ मुश्किल नहीं राम कृपा भरपूर ॥२॥