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१५१ ॥ श्री तीर्थराज बेनीमाधव जी ॥


चौपाई:-

जानै वही जो आप मिटावै। निगम नेति निसि दिनि गोहरावै ॥१॥

गुरु किरपा ते जो कोई पावै। तब फिर वही वही ह्वै जावै ॥२॥