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५२७ ॥ श्री राधेश्याम जी रसिक ॥

 (मधुपुरी, शिष्य स्वामी रामानन्द जी)

पद:-

सांचा रसिक कहावै सोई।

सतगुरु करै भजै निस वासर तन मन प्रेम में लोई।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रग रोवन ते होई।

सुर मुनि मिलैं सुनै घट अनहद कर्म जांय दोऊ धोई।

श्यामा श्याम सामने राजैं देय नाम जग वोई।

राधे श्याम सरन कह तन तजि गर्भ में परि नहिं रोई।६।