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४२७ ॥ श्री कम खर्च शाह जी ॥

(६)  कीर्तन

कीर्तन:-

श्याम श्यामा की जय जय बोलो।

सखी सखियन की जय की जय बोलो॥

बलराम रेवती की जय जय बोलो। नन्द यशुमति की जय जय बोलो॥

वसुदेव देवकी की जय जय बोलो। श्री रोहिणी की जय जय बोलो॥

वृज वासिन की जय जय बोलो। श्री यमुना की जय जय बोलो॥

वृज भूमी की जय जय बोलो। पशु पक्षिन की जय जय बोलो।५।

 

सब सुर मुनि की जय जय बोलो। सब सृष्टि की जय जय बोलो॥

श्री सतगुरु की जय जय बोलो। कम खरच कहैं सुख सो लो।७।

 

शेर:-

कम खरच कह सतगुरु से नाम जान ध्याइये।

तन मन को प्रेम में मिला हरि पास पाइये।१।

धुनि ध्यान नूर लय हो हरि रंग में भीजिये।

कम खर्च कह तब दीनों को पहिचान दीजिये।२।