साईट में खोजें

३७५ ॥ श्री बाबा हरि चरन दास जी ॥

(मु. पाकरि गाँव, जि. रायबरेली)

 

पद:-

नाम का अमल चढ़ै जब भाई।

रोम रोम रग रग सब हाड़न हर शै से सुनि पाइ।

सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानै ता को यह सुख आई।

ध्यान प्रकाश समाधि होवै सुधि बुधि जहां भुलाई।

अमृत पियै सुनै घट अनहद सुर मुनि संघ बतलाई।५।

 

नागिन जगै चक्र षट बेधैं सातौं कमल फुलाई।

सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि सन्मुख दें छबि छाई।

अन्त त्यागि तन हरि पुर राजैं कह हरि चरन सुनाई।८।