२९० ॥ श्री साईं बाबा जी ॥
(परताबगढ़)
पद:-
पहले फांका नाका छेका। दुसरे दूरि करै सब फेरा॥
तिसरे फाका तिरगुन नासै। चौथे भरन कमल पर डेरा॥
पंचवें पांच भूत को मारै। छठवें छलबल छूट बखेड़ा॥
सतवें अलख पुरुष को भेंटै। वही गुरू और सब चेला॥
सत्य साईं की चरन बंदगी॥