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२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(११)

अर रर सन्तौं पढ़ौ कबीर।

सूरति शब्द कि जाप से खुलते आँखी कान।

अंधे कह सब युगन में सुर मुनि कीन बखान।

भला करि जतन मगन हो जियतै में।४।