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२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१०)

अर रर भक्तौं गहौ कबीर।

सूरति शब्द कि जाप से होत दशा विज्ञान।

अंधे कह हम से कह्यौ शंकर जी हनुमान।

भला विश्वास करो करतल होवै।४।