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॥ श्री हनुमानाष्टक प्रारम्भ ॥(३)

 

मरकटाधीश हनुमान को नाम सुनि,

भूत बैताल सब सोच भागैं।

बीर बजरंग जब गदा और बज्र धर,

लाल लाल नैन कसै पीत पागै॥

कमर लंगोट कसि ताल को ठोंक जब,

बीर बजरंग सों कौन लागै।

जै महावीर कर जोर नागा खड़े,

देहु हरि भक्ति क्या और मांगै॥