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॥ श्री रामायण व गीता जी की प्रार्थना ॥

जारी........

 

पद:-

मनुआँ जीव को करता कायल।१।

जैसे हर दम पानी बरसे होति नहीं है बायल।२।

कितने जीव मरैं औ जनमैं कितने होते घायल।३।

सतगुरु सरन बिना कहैं अंधे मानत नहिं समुझायल।४।

 

पद:-

राम नाम भक्तौं है सार सतगुरु करि सुमिरौ निशि बार रेफ़

बिन्दु का बाजै तार आ हा हा हा हा हा हा हा होहो हो हो

हो हो हो हो।१।

ज्योति ते होय बड़ा उजियार, लय दे करम शुभाशुभ जार होवे

षट झाँकी दीदार आ हा हा हा हा हा हा हा होहो हो हो हो हो हो हो।२।

पीजै अमी की जारी धार, घट में अनहद की गुमकार सुर मुनि करैं

आय नित प्यार आ हा हा हा हा हा हा हा होहो हो हो हो हो हो हो।३।

नागिन चक्र कमल एक तार जगै करै अपन सब कार अंधे कहैं

भये मतवार आ हा हा हा हा हा हा हा, हो हो हो हो हो हो हो हो।४।

 

पद:-

भक्तौं सतगुरु के ढिग जाना, तन मन प्रेमसे शीश नवाना, सुमिरन की

बिधि लेकर आना आ हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

कर औ जीभ न नैन हिलाना, चुपके बैठ के ध्यान लगाना खुलि है नाम

का क्या तर्राना आ हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

चमक के फैले तेज महाना, लय में सुधि बुधि सबै भुलाना बिधि के

लिखे कुअंक कटाना आ हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा,

हा हा हा हा

नागिन जगै चक्र घुमराना, सारे कमलन उलटि खिलाना, खुशबू भाँति

भाँति की पाना, आ हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

अमृत गगन से झरता पाना अनहद बाजा सुनि हर्षाना, सुर मुनि के संग

हरि यश गाना, आ हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

सन्मुख षट झाँकी छबि छाना, कैसा मन्द मन्द मुसकाना, तन तजि चढ़ि

बिमान घर जाना आ हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

जब तक खुलैं न आँखी काना, तब तक किसी को मत बतलाना,

या से मिले न ठीक ठिकाना आ हा हा हा हा हा हा हा, हा हा हा हा,

हा हा हा हा

अंधे शाह कहैं यह गाना, पढ़ि सुनि गुनि उर मांहि बसाना, तब तो

होवेगा कल्याना आ हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

 

पद:-

श्याम सुन्दर नाचते मुरली बजाते हो तुम्हीं।

नित सखा सखियन संग में खाते खिलाते हो तुम्हीं।

दधि दूध मक्खन लूटते गाली सुनाते हो तुम्हीं।

घर घर में गोपिन निरखते सोते जगाते हो तुम्हीं।

नैनों में जादू है भरा तन मन लुभाते हो तुम्हीं।५।

 

सब प्रेम में रहते मगन सुधि बुधि भुलाते हो तुम्हीं।

पाप करने वालों पर पल में दयाते हो तुम्हीं।

दीनता आई जहां उर में लगाते हो तुम्हीं।

सर्वत्र आप का नाम है सब में दिखाते हो तुम्हीं।

अंधे कहैं निज भक्त को निज पुर पठाते हो तुम्हीं।१०।

 

दोहा:-

करूँ मुखारी नीम की मुख का मल हर लेत।

वैसे सतगुरु बचन गहि शान्त करो मन प्रेत।१।

नाँदा में पानी नहीं सानी किस बिधि होय।

मनवा तो मानी नहीं घानी लेवै टोय।२।

सूख खाय धर ले गला फटके निकलैं प्राण।

अंधे कह मन मिले बिन मिलत नहीं भगवान।३।

पद:-

सतगुरु करि के बिधि सिखि लीजै, अजपा जाप में मन को दीजै,

बिरथा आयू सारी छीजै अ ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह।१।

बैठि के नैन बन्द करि लीजै, कर औ जीभ हिलन नहिं दीजै, गाना

राम नाम सुनि लीजै अ ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह।२।

जारी........