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॥ परम पूज्य बाबा नागा राम दास जी महाराज॥

पद:-

शंकर राम नाम के ज्ञाता।

बिधि के लिखे कुअंक मिटावत ऐसेहैं प्रभु दाता।

चारि पदारथ बांटन हारे राम सिया के ताता।

कर त्रिसूल भक्तन संग रहते, नागा सत्य सुनाता।

 

दोहा:-

सेवा हित सिय राम की धरो रूप हनुमान।

नागा कह सुर मुनि जिन्हें मानत प्राण समान।

भक्तन की रक्षा करें गदा लिये रहें संग।

नागा कह सुमिरन करो बिघ्न न व्यापे अंग।