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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१९२)


पद:-

सतगुरु दाया के सागर हैं। सुर मुनिन से रूप उजागर हैं॥

अन्धे कहैं सब गुण आगर हैं। श्री राम बिष्णु नट नागर हैं।४।