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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१४०)


पद:-

भगवान कि सब मिलि जै बोलो। अन्धे कहैं जै जै जै बोलो॥

भगवान दया सागर की जै। भगवान कृपा सागर की जै॥

भगवान छिमा सागर की जै। भगवान करुणा सागर की जै॥

भगवान दीन बन्धू की जै। भगवान प्रेम सिन्धू की जै।८।

भगवान आपकी की जै होवै। भक्तन के दुख की छै होवै॥

भगवान आपकी जै जै जै। सन्मुख तब झाँकी बै बै बै॥

छूटै तन मन से मैं मैं मैं। बंधि जाय तार बस तैं तैं तैं॥

सुर मुनि सब बोलैं जै जै जै। निज कुल की कीन्हे सै सै सै।१६।