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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१३५)


पद:-

नौ सरिता को पैर के मछली दसयें में जब जावै।

करि अस्नान त्रिबेनी भक्तौं बर्त सर्त फल पावै।

अन्धे कहैं बढ़ै फिरि आगे मुद मंगल ह्वै जावै।

अन्त त्यागि तन लेय अचल पुर आवागमन मिटावै।४।