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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१२०)


पद:-

सतगुरु शँभु हनुमत बीर।

जिनहिं सुमिरै बिघ्न बिनसत कटत भव भय पीर।

नाम धुनि परकास लय हो लखत सिय रघुबीर।

कहैं अन्धे वैश्नौ हैं भक्त अति गंभीर।४।