१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(८४)
पद:-
सुमिरो राम नाम अनमोल।
सतगुरु से जप की बिधि जानौ भागैं चोरन टोल।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै से रहि बोल।
सुर मुनि मिलैं सुनौ घट बाजा अमृत पियौ ढकोल।
सिया राम की झाँकी सन्मुख ताकौ आँखैं खोल।
अन्धे कहैं अन्त निज पुर हो फेरि न जग में डोल।६।