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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(८१)


पद:-

करम की भूमी नर बाम की यह करौगे जैसा मिलैगा वैसा।

अन्मोल तन स्वाँस समय मिला है हटावो रैसा न हो अनैसा।

धुनि नाम लै तेज रूप सन्मुख कहौगे कैसा मगन हमेसा।

कहैं यह अन्धे निज कुल का पेसा करैं जे ऐसा चलैं निज देसा।४।