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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(४३)


पद:-

सतगुरु कृपा भरपूर जब बीजक पढ़ा हरि नाम का।

धुनि ध्यान लय परकाश सन्मुख रूप सीता राम का।

नर तन क फल जियतै मिलै अनमोल जो शुभ काम का।

अंधे कहैं तन तजि चला मारग गहा निज धाम का।४।