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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥


पद:-

अविद्या आलस की अबला।

बिरलै भक्त बचत कोइ या से बड़ी कठिन सबला।

जल भोजन हलका करै साधक तब न करै हमला।

अंधे कहैं शांति तब होवै जिमि फूटै तबला।४।