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॥ श्री रामायण व गीता जी की प्रार्थना ॥ (१)

भक्त पढ़ैं रामायण गीता।

ये दोउ माता हैं सुखदाता अति ही परम पुनीता।

सुनि गुनि कै जै पाठ करत हैं छूटि गई अनरीता।

इनते सुर मुनि शक्ती मिलते श्रुति शास्त्रन नवनीता।

राम श्याम नारायण सन्मुख कमला राधे सीता।५।

तुलसी दास ब्यास मुनि जग हित बांध्यो आय सुभीता।

सब लोकन बिख्यात है मानो जानै तुरिया तीता।

बज्र का सेतु बंध्यो नहिं टूटै उतरि चलो मन मीता।

अन्धै कहैं जौन नहिं जान्यो जन्म अकारथ बीता।

धन्य धन्य वह जीव धन्य हैं जो इस रस को पीता।१०।