४१९ ॥ श्री राम अधार जी ॥
पद:-
जिन गर्भ कि बात पै लात धरी, तन छूटी तब सब जानि परी।
जम आय उठाय धरैं कखरी, तब कौन सिफ़ारिश आय करी।
सतगुरु करि लो यह बात खरी, ह्वै जावो तुरतै यार बरी।
जो चोरन ने धन लूट धरी, कुड़की करि लेव धरी डिगरी।
धुनि ध्यान प्रकाश समाधि भरी, जहं सुधि बुधि सारी रहै बिसरी।५।
सन्मुख श्री राधे संग हरी, सिंगार अजब लहरै झलरी।
जो वैन गहै जियतै में तरी, बनि दीन शांति तब का बिगरी।
नित पावै माखन औ मिश्री, शुभ लोकन आप जाय घुसरी।८।