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३९१ ॥ श्री बांके शाह जी ॥(२)

हां हां, आ हा, ओ हो, सी सी। यह चारों मिलि डालैं पीसी।१।

गंजीफ़ा यह है बत्तीसी। ग्यारह या में बड़ी खबीसी।२।

सतगुरु कृपा ते कहौं पुकारी। सुमिरन बिना सकै को टारी।३।

ध्यान प्रकास धुनी हो जारी। लै दे कर्म शुभाशुभ टारी।४।